रंग चढ़ा है इश्क का या खुमारी छाई है
रंग चढ़ा है इश्क का या खुमारी छाई है
या तुम्हारे ख्यालों की यह रोशनाई है।
तेरे दीदार से मिलता है दिल को सुकून,
लगता है जन्नत यहीं उतर आई है।
तुम दूर न जाना एक लम्हे के लिए ,
जहर जैसी लगती हमें यह जुदाई है।
सज रही है आज एहसासों की महफिल,
बेशक दूर तक फैली ये तन्हाई है।
छत पर कभी तो आया कर सनम,
चाँदनी रात ने धरती सजाई है।
प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 09:08 PM
Beautiful
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